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त्रिजटा: करुणा और धर्म की प्रतीक

त्रिजटा का चरित्र रामायण के उन कम चर्चित लेकिन अत्यंत प्रभावशाली पात्रों में से एक है, जो सिखाता है कि व्यक्ति का आचरण और उसके कार्य किसी भी स्थिति में उसे उन्नति या पतन की ओर ले जा सकते हैं।

त्रिजटा का व्यक्तित्व और विशेषताएं:

  1. राक्षसी से साध्वी तक का सफर: त्रिजटा लंका के राक्षस कुल से थी, लेकिन उसका आचरण, विवेक और धर्म में विश्वास उसे भीड़ से अलग बनाता था। उसकी ‘त्रिजटा’ उपाधि भी उसकी विशेषताओं—ईश्वर विश्वास, कार्यकुशलता, और विवेक—के कारण पड़ी।
  2. माता सीता की संरक्षिका: त्रिजटा ने न केवल माता सीता की रक्षा की, बल्कि उनका मनोबल बनाए रखा। उसने सीता जी को रावण के षड्यंत्रों और अशोक वाटिका में प्रहरियों की परेशानियों से बचाया।
  3. धर्म और नीति की शिक्षा: त्रिजटा ने सीता जी को श्राप-विधान की जानकारी देकर उनका आत्मविश्वास बढ़ाया। साथ ही, लंका के स्त्री समाज को यह समझाने में सफल हुई कि रावण का यह कार्य न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि लंका के लिए विनाशकारी भी होगा।
  4. राम की विजय में अप्रत्यक्ष भूमिका: त्रिजटा ने विभीषण और अन्य धर्मपरायण व्यक्तियों से संपर्क कर सीता जी तक सूचनाएं पहुंचाईं। उसने रावण की मायावी चालों को भी नाकाम किया, जैसे कि राम के नकली मस्तक का छल।

त्रिजटा का धार्मिक और सामाजिक प्रभाव:

  • त्रिजटा की भक्ति और सीता जी के प्रति समर्पण ने यह साबित किया कि परिस्थितियां चाहे जितनी विपरीत हों, सच्चाई और धर्म का साथ देने वाला व्यक्ति कभी हारता नहीं।
  • वह न केवल रामायण की कहानी में बल्कि अध्यात्म और समाज में भी एक आदर्श पात्र के रूप में उभरती है।

त्रिजटा का उत्तरकाल:

  • त्रिजटा का रामायण के युद्ध के बाद कोई विशेष उल्लेख नहीं मिलता। संभवतः सीता की अग्नि परीक्षा और उनके प्रति हुए अन्याय से त्रिजटा आहत हुई और लंका छोड़कर धर्म व तपस्या का मार्ग अपनाया।
  • काशी में त्रिजटा का एक मंदिर होने का संदर्भ यह दर्शाता है कि त्रिजटा का धार्मिक योगदान समाज में लंबे समय तक मान्य रहा।

त्रिजटा की कथा का संदेश:

  1. कर्तव्य और धर्म की राह: त्रिजटा की कहानी सिखाती है कि धर्म और कर्तव्य की राह पर चलने से व्यक्ति अपने अतीत के पापों का प्रायश्चित कर सकता है।
  2. सद्भावना और सहायता का महत्व: दूसरों की सहायता करना और सत्य का साथ देना कभी व्यर्थ नहीं जाता।
  3. परिवर्तन संभव है: कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना ही दोषपूर्ण क्यों न हो, सही समय पर सही कदम उठाकर अपने जीवन को बदल सकता है।

त्रिजटा का यह सफर हमें बताता है कि भले ही परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण हों, अच्छाई और सत्य का समर्थन न केवल स्वयं के लिए, बल्कि समस्त समाज के लिए शुभ होता है।