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तृण धान्य(सिरिधान्य)

“सिरि धान्य” ऐसा नाम जिसके बारे में आधे से कम भारतीय ही जानते हैं । सिरिधान्य क्या है..? कितने लोग इस बात पर विचार कर पाते हैं कि फसलों और अनाज की दुनिया में एक शब्द सिरीधान्य भी आता है ।

सिरिधान्य एक प्रकार का त्रन धान्य अनाज है ।देश की विभिन्न क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले परंपरागत अनाजों में उनकी औषधीय गुणवत्ता को खोज कर उसे जन कल्याण हेतु उपयोग में लाया गया। हमारे देश के कृषि रत्न श्री खादर वली जी जिन्होंने परंपरागत अनाजों पर शोध करके उनको आम जन मानस के सामने लाकर जन हित के लिए कार्य किया ।

सिरी धान्य के रूप में उन्होंने इस विधा का नाम उपचार किया है । यदि आम जीवन में हर आदमी अपने परम्परागत मोटे अनाज को भोजन के लिए इस्तेमाल करता है तो यह सत्य बात ही है रोगों से अपने आप को बिलकुल बचाया जा सकता है। कृषि रत्न श्री खादर वली के नेतृत्व में हम सब उनकी विचार परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं।

परंपरागत अनाजों के दैनिक प्रयोग से जीवन को आरोग्यता दे रहे हैं। यहां हम एक बात स्पष्ट कर देते हैं कि हमारी सभी परंपरागत फसलों में एक फसल जिसे तृण धान्य कहते हैं । जो भरपूर पोषक तत्वों से से युक्त है और यह मानव जीवन को स्वस्थ रखने में पूरी तरह कारगर है । इस प्रकार के कुछ अनाजों में जैसे कंगनी , समा , छोटी कंगनी , कोडा, ज्वार , बाजरा , मोटा अनाज एवम् सांवा आदि ।

बड़े दुःख का विषय है कि हमने स्वयं ही अपनी लाइफ को बीमारियों का घर बनाया है । औषधियों को छोड़कर जहर को गले लगाया है । पर असल में ऊपर लिखे गए सारे अनाज आपके और हमारे जीवन को स्वस्थ बनाए रखने के लिए पर्याप्त हैं तो आईए अपने परम्परागत जीवन शैली की ओर बढ़ें और अपने परिवार समाज को भी शामिल शामिल करें ।

लेखक : अभिलाषा