एक गाँव में सूरज और सरोज नामक पति-पत्नी रहते थे। वे बहुत गरीब थे और कभी-कभी तो खाने के लिए भी कुछ नहीं होता था। सूरज भगवान पर अटूट विश्वास रखता था और नियमित रूप से पूजा-पाठ करता था। लेकिन उसकी पत्नी सरोज को भगवान पर विश्वास नहीं था।
एक दिन घर में खाने को कुछ भी नहीं था। भूखी सरोज ने गुस्से में कहा,
“तुम दिनभर पूजा-पाठ में लगे रहते हो, लेकिन भगवान ने हमें कभी कुछ नहीं दिया। अगर भगवान सच में हैं, तो हमें कुछ क्यों नहीं मिलता? अब तो ऐसा लगता है कि भूख से मरना ही पड़ेगा। तुम्हें काम पर जाना चाहिए, पूजा से कुछ नहीं होने वाला।”
सूरज उसकी बात सुनकर शांत रहा और मुस्कुराते हुए बोला,
“तुम्हें भगवान पर विश्वास करना चाहिए। वह सभी की मदद करते हैं।”
लेकिन सरोज ने फिर तर्क दिया,
“तुम हमेशा यही कहते हो, लेकिन भगवान की मदद हमें नजर क्यों नहीं आती?”
सूरज चुपचाप अपने काम पर चला गया। उसे भरोसा था कि भगवान किसी न किसी रूप में मदद करेंगे।
भगवान की कृपा
उस दिन सूरज भूखा था और काम पर जा रहा था। रास्ते में उसे एक फल बेचने वाला मिला। फल वाले ने कहा,
“भाई, फल ले लो।”
सूरज ने जवाब दिया,
“मेरे पास पैसे नहीं हैं, इसलिए मैं नहीं ले सकता।”
फल वाला मुस्कुराते हुए बोला,
“कोई बात नहीं, जब पैसे हों, तब दे देना।”
सूरज आगे बढ़ गया।
रास्ते में उसे एक मंदिर दिखा, जहाँ प्रसाद बाँटा जा रहा था। सूरज ने वहाँ से दाल और चावल लिया और अपनी पत्नी के लिए भी प्रसाद ले गया। घर पहुँचकर उसने प्रसाद सरोज को देते हुए कहा,
“देखो, भगवान ने हमें खाना दिया।”
सरोज ने ठंडी साँस लेते हुए कहा,
“यह प्रसाद है। रोज-रोज तो ऐसा नहीं होगा।”
साधु बाबा का आशीर्वाद
इसके बाद सूरज अपने काम पर निकल पड़ा। रास्ते में उसे एक साधु बाबा मिले। सूरज ने उन्हें प्रणाम किया। साधु बाबा ने कहा,
“बेटा, भगवान तुम्हारी सारी समस्याएँ दूर करेंगे। आज से सब कुछ ठीक हो जाएगा।”
सूरज के मन में उम्मीद जागी। वह सोचने लगा, “अगर ऐसा हुआ, तो भगवान की महिमा पर सबका विश्वास हो जाएगा।”
पोटली का चमत्कार
घर लौटते समय सूरज को रास्ते में एक पोटली पड़ी मिली। उसने चारों ओर देखा, लेकिन पोटली का मालिक कहीं नजर नहीं आया। जब उसने पोटली खोली, तो उसमें सोना-चाँदी भरा हुआ था। सूरज ने भगवान को धन्यवाद दिया और पोटली लेकर घर पहुँच गया। उसने सरोज को पोटली दिखाते हुए कहा,
“देखो, भगवान ने हमारी मदद की।”
सोना-चाँदी देखकर सरोज आश्चर्यचकित हो गई और उसने कहा,
“अब मुझे भी भगवान पर विश्वास हो गया। सच में, भगवान हमारी मदद करते हैं।”
इसके बाद सूरज और सरोज के दिन बदल गए। अब वे रोज भगवान की पूजा करने लगे और सुखी जीवन बिताने लगे।
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