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अधर्म जब अपनी सीमा से ऊपर उठकर चलने लगता है तो परशु धारी परशुराम जैसे गुरुओं और सुदर्शन चक्र धारी भगवान श्री कृष्ण को प्रथ्वी पर आना ही पड़ता है। फिर विजय की ललकार से अधर्म क्षत विक्षत हो जाता है।
१९ सितंबर २०२४ गुरुवार-‼️
-आश्विन कृष्णपक्ष द्वितीया २०८१-
‼️संजीवनी ज्ञानामृत‼️
20 मई को जीकेसी के सौजन्य से प्रार्थना एवं सत्संग का आयोजन पटना, 19 मई ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) कला संस्कृति प्रकोष्ठ […]
काव्य की सरसता मन को कोमल भाव प्रदान करती है । “कलम एक ऐसा उपकरण है जो लिखी गई बात को सत्य प्रमाणित करती है” ।