क्या लिखूं…..?
ऐसा जो हर किसी के लिए एक रौशनी बन जाए
आंसू की एक एक बूँद सबके लिए दीप बनकर जगमगाए …
चाह्तों के जहाजों पर अक्सर आशाएं रोज सफर करती हैं
मिल जाएं गर वो किनारों का काफिला
तो समंदर का साहिल आशाओं का डेरा बन जाए ….
कितना मुश्किल होता है समंदर के किनारों पर ठहरना
वक्त सा हाथों की लकीरों पर जो ना चाहे रुकना….
क्या लिखूं…?
ऐसा जो हर किसी के लिए आइना बन जाए
टूटा हुआ हर अक्स खुद ही खुद में संभलना सीख जाए ….
गीत साहिलों का मस्त होकर सबके लिए मायना बन जाए
जिंदगी मतलव परस्तीयों की वीरान राह बनती जा रही है
किस तरह उन बस्तियों में मुहब्बत की मीनारें बनाइ जाएँ ….
क्या लिखूं ..?
ऐसा जो हर किसी के लिए जीने की किताब बन जाए
एहमियत अपनी ही नजरों में खुशनुमा लिबास बन जाए
सिकुड़ रही जो अरसों से दिलों की ज़मी पाँव के तले
क्यूँ न नन्हें नन्हें वादों की हर कहानी को अब लिखा जाए …
क्या लिखूं …?
ऐसा जो हर किसी के लिए अपनी एक सच्ची कहानी बन जाए
गिरकर उठना , गिरना फिर से संभलना इसी तरह जीवन को लिखा जाए …
अभिलाषा ….
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