क्योँ तुम आज भी जीवंत ही खड़े हो ….?
क्या पीड़ा से तुम डरे नहीं …..?
क्या पुन्य के प्रभाव गीत तुम लिखते हो …?
जो डटे रहे पर मिटे नहीं …|
क्यूँ तुम आज भी योगी मौन बने हो…?
क्या परिवर्तन से तुम मिले नहीं …?
क्या शून्य बन मनुज की प्राण धरा …?
जो तुम डटे रहे पर हटे नहीं …||
अभिलाषा {मेरी कलम मेरी अभिव्यक्ति }