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एक शांत और आध्यात्मिक दृश्य, जिसमें वृद्ध व्यक्ति बच्चों को जीवन के चार रत्नों की शिक्षा दे रहा है।
आज के धनधारी, सत्ताधारी, वैज्ञानिक, राजनीतिज्ञ आदि अपना काम करते हुए नित्य कुछ समय प्रभु की प्रार्थना का भी कार्यक्रम अपना लें, तो आज के यह सारे विनाश साधन स्वतः निर्माण साधनों में बदल जाएँ । उनके जीवन का प्रवाह अनायास ही स्वार्थ की ओर से परमार्थ की ओर बह चलेगा और तब वे स्वयं ही ध्वंसक उपादानों से घृणा करने लगेंगे और अपनी क्षमताओं को विश्व कल्याण की दिशा में मोड़ देंगे ।
गौ माता एक परित्यक्ता “मां”। मानव की बढ़ती की स्वार्थ की भूख और क्रूरता एक मानसिक दिवालियापन। ✍️
अभिलाषा भारद्वाज
यह लेख विचारों की शक्ति, उनके प्रभाव और सकारात्मक दिशा में जीवन को ढालने के तरीकों को समाहित करता है। इसमें कहानी, सुझाव और प्रेरक तत्व जोड़े गए हैं ताकि यह प्रभावी और उपयोगी लगे।
