

You may also like
मुसाफिर हूँ अपना सफर है अपनी ही कहानी लिखता हूँ …… जो छिपी है ,तुझमें असीम गहराइयाँ उसमें डूब खो जाना चाहता […]
कभी मौका दो खुद को कदम कदम मुस्कुराने का फूल तो हर हाल में मुस्कुराया करते हैं कभी तरीका दो खुद को […]
जितना अहंकार को त्याग कर आप प्रकृति के समीप जाएंगे , वह उतना ही आपको स्नेह करेगी यह एक दम सत्य और […]
संचित कर्मों का ऐसा ही पहाड़ बना हुआ है जिसमें शुभ अशुभ दोनो ही कर्म हैं जय सदगुरुदेव ईश् हमारे कर्म कितने […]