एक माता आटा गूंध रही थीं। इतने में उसका चार साल का बच्चा जाग गया और रोना शुरु कर दिया। मां दौड़कर उसके पास आई और ढेर सारे खिलौने उसके पास डाल दिए, और एक-दो खिलौने उसके सामने बजा कर उसके हाथ में देना चाहती है।
लेकिन….
बच्चा खिलौने हाथ में लेने के बजाए उन्हें पैरों की ठोकर से दूर फेंक देता है और जमीन में पसर जाता है और हाथ-पैर मारकर जोर जोर से रोने लगता है।
यह सब देख कर मां प्यार के जोश में आकर बच्चे को अपनी गोदी में उठा लेती है, और उसे खूब चूमती-चाटती है, उसे सहलाती है। बच्चा अपनी मां का प्यार पाकर परम शांति का आनन्द लेता हुआ फिर सो जाता है और शांत बैठ जाता है। मां भी अपने काम में लग जाती है।
प्यारे भाइयों और बहनों…..
बस यही कुछ हाल यहां भी होता है।
जब इंसान भजन भक्ति में लगकर रोता गिड़गिगिड़ाता है,
फरियाद करता है… तो उसके आगे पीछे भी मोटर, बिल्डिंग गुड़िया, गुड्डे आदि खिलौने डाल दिये जाते हैं, और वह उन्हीं में उलझ कर रह जाता है।
और अपने असली लक्ष्य से भटक कर सत्य मार्ग को खो बैठता है, और जिंदगी भर रोता और दुख उठाता है।
अगर वह भी उस बच्चे की तरह उसको लात मार देता तो आज वह भी अपने सदगुरुदेव भगवान की गोद में बैठा होता।
दो नावों में एक साथ बैठना संभव नहीं.. या तो दुनिया का मजा लूट लो या अपने आत्मिक आनंद का..!!
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