जहां उम्मीद होती है
रोशनी भले ही मद्धम हो ,सवेरे जरूर गहरे होते हैं
जहां उम्मीद होती है ,
कदम ताल भले ही मद्धम हो , मंजिल ज़रूर गले लगाती है
जहां उम्मीद होती है
शब्द भले ही अल्प हो ,भावनाएं ज़रूर ईश्वर तक जाती हैं
जहां उम्मीद होती है
तैरना भले ही ज्ञात ना हो ,तिनके की भी नौका बन जाती है । (रचनाकार:अभिलाषा)✍️