आज जब मैं उदास था ,
ना खोने को कुछ पास था
दिन गुज़रा था बस इसी कशमकश में
क्या था मेरे पास जब मैं खुश गवार था ?
बैठ कर समंदर के किनारे पर
तकता रहा जाती हुई शाम को
लहरें भी थम थम कर ठिठक रहीं थीं
मानो कसक हो यूं बार बार खुद को मिटाने पर ।
दर्द तो मैंने एक लहर में देखा क्या देखा
लहरें ना हो तो समंदर क्या है?
लहरें ना हो तो किनारा भी क्या है ?
बहना, रुकना फिर बहना मिट जाना
फिर भी बहते जाना ये तो लहरों से ही सीखा है। रचनाकार :अभिलाषा शर्मा 🌷
आरा में विहंगम योग के माध्यम से आत्मा के ज्ञान और ध्यान साधना पर जोर | Read More
धरना व्यवसायियों के हितों की रक्षा और उनके अधिकारों की आवाज बुलंद करने की दिशा में एक अहम कदम साबित… Read More
सहारा भुगतान सम्मेलन की तैयारी में जुटे नेता, पटना में 5 जनवरी को होगा बड़ा आयोजन Read More
हाईवे पर गैस टैंकर हादसा Read More
भोजपुरी को राजभाषा दर्जा देने की अपील Read More
17 जनवरी को जिला मुख्यालयों पर धरना, 15 मार्च से राज्यव्यापी सदस्यता अभियान शुरू होगा Read More