🌞आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
⛅दिनांक – 28 फरवरी 2024
⛅दिन – बुधवार
⛅विक्रम संवत् – 2080
⛅अयन – उत्तरायण
⛅ऋतु – वसंत
⛅मास – फाल्गुन
⛅पक्ष – कृष्ण
⛅तिथि – चतुर्थी 29 फरवरी प्रातः 04:18 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅नक्षत्र – हस्त सुबह 07:33 तक तत्पश्चात चित्रा
⛅योग – गण्ड शाम 05:17 तक तत्पश्चात वृद्धि
⛅राहु काल – दोपहर 12:52 से 02:20 तक
⛅सूर्योदय – 07:03
⛅सूर्यास्त – 06:42
⛅दिशा शूल – उत्तर
⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:24 से 06:13 तक
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:27 से 01:17 तक
⛅व्रत पर्व विवरण – संकष्ट चतुर्थी, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
⛅विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔸संकष्ट चतुर्थी – 28 फरवरी🔸
(चंद्रोदय : रात्रि 09:42)
🔸क्या है संकष्ट चतुर्थी ?
🔹संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।
🔹इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।
🔸संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि🔸
गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं ।
👉 इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ ।
👉 व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें । इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है ।
👉 स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें । गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ।
👉 सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें ।
👉 पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें ।
👉 ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है ।
👉 गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें ।
👉 संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं ।
👉 गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें ।
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
👉 पूजा के बाद आप फल फ्रूट्स आदि प्रसाद सेवन करें ।
👉 शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्ट व्रत कथा का पाठ करें ।
👉 पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें । रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है ।
🔸कार्य सिद्धि के लिए🔸
🌹1. ॐ सुमुखाय नम: 2. ॐ एकदंताय नम: 3. ॐ कपिलाय नम: 4. ॐ गजकर्णाय नम: 5. ॐ लंबोदराय नम: 6. ॐ विकटाय नम: 7. ॐ विघ्ननाशाय नम: 8. ॐ विनायकाय नम: 9. ॐ धूम्रकेतवे नम: 10. ॐ गणाध्यक्षाय नम: 11. ॐ भालचंद्राय नम: 12. ॐ गजाननाय नम: ।
🔸जो भी साधक श्री गणेश जी को रोज सिंदूर अर्पित कर इन 12 नाम का जाप करता है उसे कार्य सिद्धि प्राप्त होती है । – नारद पुराण
🌞हिन्दू पंचांग 🌞