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कनक-कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय | वहीं खाय बौराए नर, वहीं खाएं पछताए || देवराहाशिवनाथ।

आरा/भोजपुर| परमपूज्य त्रिकालदर्शी परमसिद्ध विदेह संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज के सान्निध्य में आज श्रीकृष्ण पंचमी के पावन अवसर पर जगदीशपुर थानांतर्गत श्रीदेवराहा धाम सिअरुआ में अष्टयाम संकीर्तन का आयोजन किया गया। संकीर्तन के पूर्व श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए त्रिकालदर्शी परमसिद्ध विदेह संतश्रीदेवराहाशिवनाथदासजी महाराज ने कहा कि जब आप सत्कर्म करते हैं तो आपके हृदय में संतोष का अनुभव होता है और जब आपसे कोई ग़लती होती है तो आपके हृदय के अंदर असंतोष भाव जागृत होता है।आप दुःखी हो जाते हैं।हयधन गजधन बाजधन और रत्न धन खान ।

जब आवे संतोष धन सब धन धुरी समान।सत्य का जो पथिक होता है उसके नजरों में किसी भी तरह का धन मिट्टी के धुरी के समान है। वहीं संतश्री ने आगे कहा कि जिस धतूरे को खाकर आदमी पागल हो जाता है।उस धतूरे से भी अधिक मादकता धन में होती है। जिससे जीव बावरा बन जाता है।

कनक-कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय |
वहीं खाय बौराए नर वहीं खाएं पछताए ||

संतश्री ने आगे कहा कि भगवान राम का नाम लेने से पहले अपने मन के अंदर के अभिमान को मिटा दो। आजकल जितना भी पूजा -पाठ़ हो रहा है।सब अहंकार से भरा होता है। जिस कारण जीव उस परमपिता परमेश्वर के कृपा से वंचित हो जा रहा है। वहीं इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु भक्त बिहार, झारखंड उत्तरप्रदेश, और बंगाल से आकर भाग लिए। वहीं इस दौरान महाभंडारा का भी आयोजन किया गया था जिसमें हजारों श्रद्धालु भक्तों ने महाप्रसाद ग्रहण किया।