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असम में कांग्रेस समर्थक की मौत: आंसू गैस के गोले से प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई का आरोप

असम में आंसू गैस के गोले से घायल कांग्रेस समर्थक की मौत

गुवाहाटी: असम की राजधानी गुवाहाटी में कांग्रेस के एक कार्यकर्ता और समर्थक की मौत हो गई है। यह घटना बुधवार को आयोजित कांग्रेस के ‘राजभवन चलो’ प्रोटेस्ट के दौरान हुई। पार्टी ने आरोप लगाया है कि सुरक्षाबलों द्वारा छोड़े गए आंसू गैस के गोले की वजह से उनकी मौत हुई। मृतक की पहचान अधिवक्ता मृदुल इस्लाम के रूप में हुई है।

क्या है मामला?

कांग्रेस ने बुधवार को ‘राजभवन चलो’ प्रदर्शन का आयोजन किया था। यह प्रदर्शन अडानी समूह से जुड़े मुद्दों और अन्य राजनीतिक सवालों पर सरकार की भूमिका के खिलाफ था। प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राजभवन की ओर बढ़ने की कोशिश की।

सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए और आंसू गैस के गोले छोड़े। इसी दौरान मृदुल इस्लाम, जो पार्टी के सक्रिय सदस्य थे, आंसू गैस के धुएं की चपेट में आ गए। पार्टी का दावा है कि इसी कारण उनकी मौत हो गई। हालांकि, प्रशासन ने अभी तक मौत के कारण की पुष्टि नहीं की है।

कांग्रेस ने जताया शोक

असम कांग्रेस ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, “हम अधिवक्ता मृदुल इस्लाम की दुखद मृत्यु से बेहद दुखी हैं। उन्होंने गुवाहाटी में शांतिपूर्ण ‘राजभवन चलो’ प्रदर्शन के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी। न्याय और लोकतंत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को हमेशा याद रखा जाएगा। उनकी आत्मा को शांति मिले।”

पार्टी ने मृदुल इस्लाम के परिवार के प्रति संवेदनाएं प्रकट की हैं और उनकी मृत्यु को सरकार की असंवेदनशीलता करार दिया है। कांग्रेस नेताओं ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

प्रशासन और पुलिस की प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद पुलिस और प्रशासन की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सुरक्षाबलों का कहना है कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए मानक प्रक्रिया का पालन किया।

विपक्ष ने साधा निशाना

कांग्रेस ने इस घटना के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार और सुरक्षाबलों को जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी का कहना है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस का इस्तेमाल लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है।

इस घटना ने असम में राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। विपक्षी दलों ने भी सरकार की निंदा करते हुए सवाल उठाए हैं कि क्या प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अत्यधिक बल का उपयोग उचित था।

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