जीवन जीते सीखा मैंने जीवन जीना
लड़ते लड़ते सीखा मैंने संघर्षों से लड़ना
तुम भी लड़ जाओ बाधाओं से
हर मुश्किल में हसना सीखो ।
हो अभाव जीवन में फिर भी
संतोष का भाव रखना सीखो
संघर्ष जीवन की कला है
कला को चित्रित करना सीखो।
जीवन है निर्झर भाव की गंगा
स्वयं निरंतर बहना सीखो।
जीवन में है अगर उमंगे
तो नभ के पंछी बन ना सीखो ।
निर्भय होकर साहस के पथ पर
दुश्मन को रक्त नेत्र से तकना सीखो।
जल जाएंगे उम्मीदों के दीप हृदय में
आशा जोत जलाना सीखो।
पूर्ण रूप होगी मन की ” अभिलाषा”
प्रथम “मन”से मित्रता करना सीखो।
चित्र विचित्र बनेंगे मन में
मन में चित्रित मन की कल्पना करना सीखो
जीवन एक सुंदर सी अल्पना
अल्पना से निज का चित्रण बनाना सीखो। ©अभिलाषा शर्मा 😘
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