ज्ञान की बात

हम सद्गुणी बनें / व्यवहार की मधुरता, सरलता और निष्कपटता में वह शक्ति / फाल्गुन कृष्णपक्ष अमावस्या 2080

व्यवहार की मधुरता, सरलता और निष्कपटता में वह शक्ति होती है जो दूसरों के बंद द्वार खोल देती है। प्रारंभिक मिलन के मधुर व्यवहार से ही उसके व्यक्तित्व का पता चल जाता है। उसमें एक अलौकिक चुंबक शक्ति होती है जो लोगों के बंद हृदय का द्वार खोल देती है। मनुष्य की योग्यता, बुद्धिमत्ता और सामर्थ्य से भी अधिक सम्मोहन उसके विनीत स्वभाव में होता है। ऐसे व्यक्ति मिल जाते हैं, तो उन्हें छोड़ने का जी नहीं करता। थोड़ी देर और बात करने का हर किसी का मन करता है। भाव और भाषा की विनयशीलता में वह रस, वह प्रेम होता है जो अनजान आदमियों को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। विनीत होना मनुष्य के पात्रत्व का लक्षण है, सहयोग प्राप्त करने का साधन है।

नम्रता के लिए हृदय में दुविधा नहीं होनी चाहिए। यह याद रखना है कि चालाक, स्वार्थ- बुद्धि और चाटुकार व्यक्ति भी अच्छी-अच्छी बात बनाकर तात्कालिक लाभ के लिए दूसरों को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने मिथ्या व्यवहार का अधिक देर लाभ नहीं उठा सकते। उनके अभद्र व्यवहार का पता चलेगा तो लोगों की भर्त्सना, निंदा और अपमान के अतिरिक्त और कुछ न मिलेगा।

आपकी वाणी से जैसे शब्द निकलें वैसे ही मन में भाव भी हों। जिसके विचार और कर्म, व्यवहार और सिद्धांत में एकता नहीं होगी उसे कभी भी औरों की आत्मीयता नहीं मिलेगी। यह वस्तुतः स्वार्थवादी दृष्टिकोण है, जिससे अपने भी पराये हो जाते हैं और जीवन का संपूर्ण प्रेम-रस सूख जाता है।

वाणी की सरलता के साथ-साथ विचारों की सबलता भी अपेक्षित है, इसके बिना जीवन में स्थिरता नहीं आती, चरित्र ऊँचा नहीं उठता।

उदात्त चरित्र के व्यक्ति औरों को बड़ी आसानी से अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। “चरित्र” एक शक्ति है, प्रभाव है। वह मित्र उत्पन्न करती है, सहायता और संरक्षण प्राप्त करती है और धन, मान तथा सुख का निश्चित मार्ग खोल देती है।”

ऐसे प्रबल आकर्षण शक्ति वाले लोग कभी मिल जाते हैं तो बड़ी प्रेरणा मिलती है। लोग तत्काल ही उनके लिए अपनी भावनाओं का द्वार खोल देते हैं। बिना किसी हिचक या झिझक के उनके समक्ष लोग आत्मसमर्पण कर देते हैं|