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मित्रता एक घनी छांव की तरह है जो छाई रहे तो आनंद देती है, छट जाए तो जीवन को विरह और पीड़ा से भर देती है। स्वयं को मित्र बनाइए।
इस जीवन का एक मात्र सिद्धांत यही है। मनुष्य बार बार जन्म लेता है और फिर मृत्यु को प्राप्त होता है । जिस प्रकार समुद्र की लहरों का बनना एक लंबा सफर तय करना ,किनारों पर आकर शांत हो जाना । यही है जीवन रूप । अंत विराम
मुहब्बत दिलों पर राज करती है ।
बेगैरत बेवफाई हर घर को उजाड़ देती है ।।
विवाह के पूर्व की बात करें तो आज 100% में से 80% युवा पुरुष एवम् महिलाएं अपने प्रेम प्रसंगों में अयोग्य पाए जाते हैं , जिसके फलस्वरूप आगे के पारस्परिक सुंदर….