आओ चलो नदी की सैर पर चलते हैं
पानी में हम भी अपनी तस्वीर देखते हैं
आसमा तो हमारा है ही
जल धरती पर सूरज तेरा आकार देखते हैं
आओ चलो नदी की सैर पर चलते हैं
क्या विचार करें जीवन की आयु और कितने हैं प्राण
बनकर हम खुद ही अपनी नौका
जल में तनिक विहार करते हैं
आओ चलो नदी की सैर पर चलते हैं
जल ही तो है जीवन पाकर इसको
प्राणों में तरलता देह को विश्राम देते हैं
आओ चलो नदी की सैर पर चलते है
देखो ना जल में कितना प्रेम है
जैसे अंबर और धरा दोनों का यही क्षेम है
बहकर जल तरंगों के प्रवाह में
कण कण जीवन को गतिमान करते हैं
आओ चलो नदी की सैर पर चलते हैं
मेरी कलम मेरी अभिव्यक्ति {अभिलाषा भरद्वाज }